मुख्तसर सी जिंदगी

मुख्तसर सी जिंदगी मेरी तेरे बिन बहुत अधूरी है,
इक बार फिर से सोच तो सही की क्या तेरा खफा रहना बहुत जरूरी है !!

जिस नजाकत से…

जिस नजाकत से…
ये लहरें मेरे पैरों को छूती हैं..
यकीन नहीं होता…
इन्होने कभी कश्तियाँ डुबोई होंगी…