हिचकियों से एक बात का

हिचकियों से एक बात का पता चलता है कि कोई हमें याद तो करता है,
बात न करे तो क्या हुआ कोई आज भी हम पर कुछ लम्हें बरबाद तो करता है…

मैं पेड़ हूं

मैं पेड़ हूं हर रोज़ गिरते हैं पत्ते मेरे ,फिर भी हवाओं से,,
बदलते नहीं रिश्ते मेरे

सुनते आये है

सुनते आये है की पानी से कट जाते है पत्थर,
शायद मेरे आँसुओं की धार ही थोड़ी कम रही होगी..!