एक शब्द है

एक शब्द है दुःख, कहो
कई – कई तरह से फेर।
दुःख ही दुःख है ज़िंदगी
सुख की यहाँ नहीं ख़ैर।।

हम वो ही हैं

हम वो ही हैं, बस जरा ठिकाना बदल गया हैं अब…!!!
तेरे दिल से निकल कर, अपनी औकात में रहते है…!!