जिसे शिद्दत से

जिसे शिद्दत से चाहो , वो मुद्दत से मिलता है ,

बस मुद्दत से ही नहीं मिला कोई शिद्दत सै चाहने वाला

उस तीर से

उस तीर से क्या शिकवा, जो सीने में चुभ गया,

लोग इधर हंसते हंसते, नज़रों से वार करते हैं।

तुम आ जाओ

तुम आ जाओ मेरी कलम की स्याही बनकर
मैं तुम्हें अपनी ज़िन्दगी के हर पन्ने में उतार दू|