इश्क़ की दास्ताँ है

इश्क़ की दास्ताँ है प्यारे
अपनी अपनी जुबान है प्यारे
रख कदम फूंक फूंक कर नादाँ
ज़र्रे ज़र्रे में जान है प्यारे।

हाँ ठीक है

हाँ ठीक है मैं अपनी अना का मरीज़ हूँ
आख़िर मेरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई