मौत का आलम देख कर

मौत का आलम देख कर तो ज़मीन भी दो गज़ जगह दे देती है…
फिर यह इंसान क्या चीज़ है जो ज़िन्दा रहने पर भी दिल में जगह नहीं देता…

बहुत दिन हुए

बहुत दिन हुए तुमने, बदली नहीं तस्वीर अपनी!

मैंने तो सुना था, चाँद रोज़ बदलता हैं चेहरा अपना!!